भारत में जीवनकाल क्यों सिर्फ 64 वर्ष है?

भारत में जीवनकाल क्यों सिर्फ 64 वर्ष है?

समझते हैं जीवनकाल क्या होता है?

जब भारतीय संविधान का निर्माण हुआ था, तब उसमें जीवनकाल की अवधारणा को महत्त्वांकित माना गया था। इसका मतलब है कि एक व्यक्ति की औसत आयु, जिसे वह जिवित रहते हुए अपने जीवन में मिलने वाले समय के दौरान अपेक्षित रूप से जी सकता है। इसे कई मापदंडों के आधार पर तय किया जाता है, जैसे कि स्वास्थ्य, विश्राम, दीक्षा और आवासीय ढंग। इतना ही नहीं, जीवनकाल की गणना भी विशेष प्रकार से की जाती है। यह अहम मान्यता है कि जीवनकाल का एक बड़ा हिस्सा मृत्यु पर निर्भर करता है।

भारत में जीवनकाल की कमी के मुख्य कारण

भारत में जीवनकाल आवृत्तियों और अन्य सांविधिक कारकों के होते हुए भी सिर्फ 64 वर्ष क्यों है? यह प्रश्न उत्तरदायी है जो विचारशीलता और विश्लेषण की मांग करता है। जैसे-जैसे मैं इस विषय का अन्वेषण करता चला, मुझे समझ में आ गया कि इसके पीछे कई कारक छिपे हुए हैं। कई रोग, आवश्यकतानुसार नहीं मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं, संचालन में अव्यवस्था, पर्यावरणीय प्रदूषण, कमजोर ज्ञान और समझने की क्षमता, निर्दिष्ट आहार संबंधी अभ्यास, और सामाजिक-आर्थिक हीनताओं के कारण जीवनकाल में कमी होती है।

स्वास्थ्य और रोग: भारत में जीवनकाल को प्रभावित करने वाले कारक

क्या आप जानते हैं कि आपकी आयु का एक बड़ा हिस्सा आपके स्वास्थ्य पर निर्भर कर सकता है? हां, यह सच है। आपके स्वास्थ्य की स्थिति और उसका प्रभाव आपके जीवनकाल पर सीधा प्रभाव डालती है। महाजनपदीय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग — ये सभी बीमारियां जीवनकाल को छोटा कर सकती हैं। और भारत में, महाजनपदीय रोग और संक्रामक बीमारियां जैसी सबसे आम समस्याएं हैं। इन सब बीमारियों का समधान करने के लिए, हमें अच्छी स्वास्थ्य सेवाओं की जरूरत होती है, लेकिन दुर्भाग्य से, यह सेवाएं अक्सर हमें सही समय पर नहीं मिलती हैं।

आहार और पोषण: भारत में जीवनकाल पर इसका क्या प्रभाव है?

हम स्वास्थ्य और आहार का विचार करते समय, एक महत्वपूर्ण तत्व है जो हमारे सामान्य जीवनकाल को परिभाषित करता है, वह है पोषण। हालांकि, भारत में कई लोग अभी भी संतुलित आहार की तलाश में हैं, जिसमें सभी आवश्यक पोषक तत्व शामिल होते हैं। यदि हम भारतीय जीवनशैली की बात करें, तो कई बार लोग आवश्यक पोषण की कमी के कारण बीमार हो जाते हैं। यह उनकी जीवनकाल को कम कर सकता है।

पर्यावरण प्रदूषण और जीवनकाल

आपका वातावरण आपके स्वास्थ्य पर त्रिपुटी प्रभाव डालता है, जैसे कि जीवन, मृत्यु और बीमारी। इसलिए, पर्यावरण प्रदूषण आपके जीवनकाल को सीधे रूप में प्रभावित कर सकता है। मैं अपने समय के बहुत से घटनाक्रमों के माध्यम से इसे देख चुका हूं। ये वातावरणीय कारक सबसे अधिक महसूस किए जा सकते हैं, जब आप एक प्रदूषित शहर में रहते हैं, जहाँ वायुमंडलीय गंदगी, पानी का प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि, सभी स्थितियाँ हमारे स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं, और इस प्रकार, हमारे जीवनकाल को छोटा कर सकते हैं।

समाज और आर्थिक हीनताएं

सामाजिक और आर्थिक स्तर पर भी, विभजन और हीनता जीवनकाल को छोटा कर सकती हैं। जैसे आपको पता चल ही गया होगा, जातिवाद, भेदभाव, गेंदर असमानता, और आर्थिक हीनता, ये सब चीजें हमारे समाज में अभी भी मौजूद हैं, जो अक्सर जीवनकाल को प्रभावित करती हैं।

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